शंका
इस ढलती उम्र में, मैं अपने जीवन का कल्याण करना चाहता हूँँ। लेकिन मुझमें सहंनन का अभाव है, मुनि मुद्रा मैं धारण नहीं कर सकता। तो हमारे जैसे लोगों के लिए कैसे कल्याण हो सकता हैं ? कृपया मार्गदर्शन करे।
समाधान
कल्याण करने के लिए मुनि धर्म और श्रावक धर्म, यह दो धर्म है। मुनि धर्म का पालन करने में असमर्थ हो तो श्रावक धर्म का ढृढ़ता से पालन करो, निश्चित कल्याण होगा। श्रावकोचित कर्तव्यों का पालन करो, देव शास्त्र गुरु की भक्ति करते हुए जितना संयम साधना के मार्ग पर चल सको उतना चलो।
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