अज्ञानतावश किए गए पापों को कैसे काटें?

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शंका

अज्ञानतावश किए गए पापों को कैसे काटें?

समाधान

अज्ञान दशा में किये गये पाप ज्ञान आने के बाद और गुरुओं के चरणों में निवेदन करने से भी साफ हो जाते हैं। जब मैं बहुत छोटा था, तो एक मुनि महाराज थे और उन पर बच्चे पत्थर बरसा रहे थे। मुझे मालूम नहीं था मैं बहुत छोटा था। स्कूल था, स्कूल की छुट्टी हुई, वहीं महाराज जी शौच को गये और बच्चे पत्थर बरसाएँ, मैं वहाँ खड़ा था, शायद तीसरी में पढ़ता था। अब मुझे याद आ रहा है कि मेरे मुँह से भी उनके समर्थन के कोई शब्द निकल गये, उस समय मैं ८ साल का भी नहीं हुआ था, नादान था। तो एक दिन जब मुझे उस बात का स्मरण आया, तो मैंने गुरुदेव से कहा कि “महाराज जी! मुझसे एक ऐसा पाप अनजाने में हुआ है कि मैंने किसी मुनि महाराज की भी अवज्ञा की, अवमानना की या उन पर उपसर्ग करने में भागीदार बना” और पूरी घटना उनको सुनाई। इसका हमें प्रायश्चित दो। उन्होंने कहा- अज्ञान दशा में किये गये पाप को ज्ञान दशा में आने के बाद गुरु के समक्ष आलोचना कर देने पर भी साफ हो जाता है, उन्होंने मुझे अलग से और कोई प्रायश्चित नहीं दिया, अब अपना रास्ता मत मोड़ना, आगे बढ़ते चलो, जीवन की जीत निश्चित होगी।

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