साधर्मी की धर्म के प्रति रुचि कैसे जागृत करें?

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शंका

एक साधर्मी व्यक्ति को जैन धर्म में बिल्कुल भी रुचि नहीं है। वे समझाने पर कुछ नहीं कहते बल्कि टी.वी. पर जैन धर्म का प्रोग्राम भी बंद कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति को कैसे समझाएं?

समाधान

जिस व्यक्ति को धर्म के प्रति रुचि नहीं है उसके साथ ज़बरदस्ती नहीं की जा सकती। यदि आप देखते हैं और वो प्रोग्राम बंद कर देते हैं, तो मेरा यही निवेदन है कि आप कहीं और जाकर देखने लगो ताकि घर में लड़ाई न हो। भावना भाओ कि उनका पुण्य जगे, भाव बदले और उनके जीवन में परिवर्तन आए। साथ ही ये देखिए कि धार्मिक भावनाओं और धार्मिक क्रियाओं में शामिल होने के लिए जब आप बार-बार उन्हें प्रेरित करते हैं, कहीं उसकी प्रतिक्रिया में तो ऐसा नहीं होता? कई बार ऐसा होता है कि लोग अधार्मिक नहीं होते हैं लेकिन साथ वाले व्यक्ति को छेड़ने के लिहाज से ऐसा करते हैं, फालतू तर्क और वितर्क करते हैं। 

तीन दिन पहले एक माँ अपने बेटे की शिकायत कर रही थी कि ‘महाराज जी! मेरे बेटे को समझाओ, ये हमसे उल्टे-सीधे तर्क करता है और धर्म विरुद्ध बातें करता है, तो मुझे बहुत तकलीफ़ होती है। ये मेरा बेटा एकदम नास्तिक है।’ लड़का सामने था; मैंने कहा कि “तुम्हारा बेटा यदि नास्तिक होता तो यहाँ नहीं आता, निश्चित इसमें कोई और बात है। तुम्हारा बेटा बिल्कुल ठीक है इसमें सोचने की बात नहीं है, यह तुम्हें छेड़ने के लिए ऐसा करता होगा।” जैसे ही हमने कहा कि ‘छेड़ने के लिए करता होगा’, तो बेटा मुस्कुराने लगा। हमने कहा कि “बेटा! यदि छेड़ता है, तो समान को छेड़े; माँ को क्यों छेड़ते हो? इतना परेशान मत करो कि माँ दुःखी हो जाये।” तो शायद ऐसा भी होता होगा इसलिए आप उन से ज़्यादा प्रभावित न हों और अपना काम करते रहें।

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