कॉलेज में ७५% (75%) उपस्तिथि आवश्यक होने की वजह से मैं पर्यूषण में घर नहीं जा पाता और इन १० दिनों में मुझे खाने में असहजता होती है क्योंकि मेरा खाना बाहर से आता है। गुरुवर इस समस्या को कैसे manage (प्रबंध) करें?
यह तुम्हारी ही नहीं, तुम्हारे जैसे अनेक युवकों की समस्या है। यह बात मैं पूरे देश की जनता से कहना चाहता हूँ कि कम से कम दशलक्षण के दस दिनों में, देश के सभी स्थानों पर जहाँ बच्चे बाहर से आकर पढ़ते हैं, नौकरी पेशा के लोग आते हैं या व्यापारियों को व्यापारिक कार्यों के लिए आना पड़ता है, ऐसी व्यवस्था करें कि आप अपने मन्दिरों में, धर्मशालाओं में शुद्ध भोजन की व्यवस्था दे दें और समाचार पत्र और मन्दिरों के नोटिस बोर्ड पर इसका उल्लेख कर दें ताकि जो बच्चे दशलक्षण में १० दिन शुद्ध भोजन करना चाहे, एकासन करना चाहे उनके व्रत का पालन हो सकें, तो यह एक बहुत अच्छी शुरुआत होगी।
सन २००१ में हमारा टीकमगढ़ चातुर्मास था। वहाँ चातुर्मास में बाहर के लोगों के लिए भोजन व्यवस्था की जाती है। मैंने वहाँ देखा तो बैनर लगा था- शुद्ध भोजन व्यवस्था समिति। मेरे सामने घोषणा हुई कि “शुद्ध भोजन व्यवस्था समिति की ओर से चातुर्मास की भोजन व्यवस्था है।” मैंने कहा, भैया यह बड़ी अच्छी बात सुनी शुद्ध भोजन व्यवस्था, इसका क्या मतलब है? इसके प्रमुख थे भदोरा साहब, तो मैंने पूछा “भदोरा जी क्या मामला है?” तो वे बोले, “महाराज जी आज से कुछ वर्ष पहले मुझे दशलक्षण में चेन्नई जाने की स्थिति आ गई। काम बहुत जरूरी था, व्यापारिक कार्य से मुझे चेन्नई जाना पड़ा। महाराज जी! जब से होश संभाला है मैंने दशलक्षण में व्रत किए। अब इस बार मैं चेन्नई गया तो कुछ मुझे खाने-पीने में बड़ी असुविधा हुई। मैंने फल वगैरह खा कर जैसे-तैसे काम चलाया। तो मुझे लगा कि जैसे असुविधा आज मुझे हो रही है मेरे जैसे कई लोगों को असुविधा होती होगी। तो वहाँ से आने के बाद अपने कुछ मित्रों को जोड़ा और मैंने एक कमेटी बनाई, शुद्ध भोजन व्यवस्था समिति। तब से अब तक हम लोग निरन्तर दशलक्षण के १० दिनों में शुद्ध भोजन की व्यवस्था करते है। एकदम सोलह की भोजन की व्यवस्था जिसमें बच्चे, सरकारी कर्मी और व्यापारी भी लाभ उठाते हैं।” मुझे बहुत अच्छा लगा इसका अनुकरण मध्य प्रदेश में कई जगह पर हो रहा है। आप लोगों को भी, जो भी व्यक्ति जहाँ है उन्हें ऐसा करना चाहिए। तुम चिंता मत करो इस बार चातुर्मास में तुम्हे कठिनाई नहीं आएगी और ऐसी शुरूआत जयपुर में भी होनी चाहिए।
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