खेती-बाड़ी करते समय सिंचाई करनी पड़ती है, हिंसा होती है। घर में रहकर क्या प्रायश्चित ले सकते हैं?
खेती-बाड़ी करने में हिंसा होना और हिंसा की खेती करना दोनों में अन्तर है। जब आप खेती-बाड़ी करते हो, बीज बोते हो, फसल उगाते हो, निराई-गुड़ाई करते हो, खरपतवार उगते हैं, खरपतवार हटाते हो तो उसमें जीव हिंसा होती है। यह जीव हिंसा गृहस्थ के लिए आरम्भी हिंसा की श्रेणी में आती है। वह जीविका के लिए हिंसा कर रहा है, उसके लिए क्षम्य है, उसमें यथासम्भव विवेक और विचार करना चाहिए। उसका प्रायश्चित यही है कि अपने द्वारा उपार्जित फसल का एक भाग परमार्थ कार्य में लगाए, दान आदिक में लगाए। लेकिन खेती बाड़ी करते समय यदि कोई कीटनाशक का प्रयोग करता है, पेस्टीसाइड का प्रयोग करता है, तो यह संकल्पी हिंसा का रूप बन जाता है और संकल्पी हिंसा महान पाप का कारण है। इससे पूरी तरह बचना चाहिए।
Leave a Reply