शंका
सामायिक की साधना हो या पूजन-आराधना हो, विद्यार्थी का परीक्षा परिणाम हो या व्यापार की सफलता हो इन सबमें मन का नियंत्रण आवश्यक है। मेरा प्रश्न यह है कि क्या अपनी आवश्यकताओं को नियंत्रित किए बिना मन का नियंत्रण हो सकता है?
समाधान
मन के नियंत्रण करने के लिए अपने आप को सीमित करना जरूरी है और जो जितना फैला होगा उसका मन उतना भागेगा। अपने आप को सीमित करने के लिए अपनी आवश्यकताओं को और अपनी आकांक्षाओं को नियंत्रित करना होगा तो आप जितना-जितना अपनी आवश्यकता और आकांक्षाओं को नियंत्रित करेंगे, उतना आपका मन नियंत्रित होगा। बाहरी सम्पर्क मन को भटकाते हैं और स्वयं के साथ सम्बन्ध बनाने से मन में स्थिरता आती है।
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