आज के इस युग में जब हम बच्चों को उच्च शिक्षा देते हैं और उच्च शिक्षा के बाद वह अपने घर से नौकरी आदि के लिए बाहर निकल जाते हैं वहाँ पर कई बार अच्छी संगत न मिलने की वजह से वे अपने संस्कारों से भटक जाते हैं। ऐसे समय में लड़कियों के लिए जब हम योग्य वर नहीं ढूंढ पाते हैं, तब हमें क्या करना चाहिए?
ये बहुत जटिल समस्या है। उच्च शिक्षा आज की आवश्यकता है लेकिन उच्च शिक्षा के जो साइड इफैक्ट्स है, वह भी समाज से छिपे नहीं है। आज की पीढ़ी में भटकाव और बिखराव उच्च शिक्षा की ही देन है, ऐसे में मेरी सोच तो यह है कि बच्चों को उच्च शिक्षा देने से पहले उन्हें संकल्पों में बांधना चाहिए, गुरुजनों से जोड़ना चाहिए और जरूरत से ज़्यादा शिक्षा नहीं देना चाहिए ताकि योग्य वर की तलाश में कठिनाई न हो और आगे चल करके वह अपने जीवन को अच्छे तरीके से निभा सकें। पहले तलाक जैसी घटनाएँ यदा-कदा सुनने को आती थीं पर अब आम हो गई हैं। हमें इसकी गहराई में जाने की जरूरत है, युवक-युवतियों को गुरुओं के पास कुछ समय बिताना चाहिए, जिससे वे अपने जीवन का निर्माण कर सकें।
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