जब भी मेरा किसी से द्वेष होता है, तो मेरे भाव उसके प्रति बहुत खराब बने रहते हैं और अत्यधिक क्रोध भी लगा रहता है और मेरा आर्तध्यान भी लगा रहता है। उसका क्या उपाय हो सकता है?
द्वेष करना बंद कर दो, इसके परिणाम को विचारो, अपने मन को धिक्कारो, किसी से द्वेष करने के बाद मन में इतना तनाव, इतना क्लेश करने से क्या फ़ायदा? आपको यह पता है कि द्वेष करने के बाद मन में क्लेश होता है, तो द्वेष करना बंद करो। जब भी द्वेष हो तो उसके बाद अपने मन को धिक्कारना शुरू करो कि “व्यर्थ में मैंने अपने परिणाम को खराब कर लिया। यह परिणामों की क्षति है, मेरी अपनी क्षति है, ये मेरी निजी क्षति है, मुझे ऐसा नहीं करना” और अपने आपको वहाँ सँभालने का प्रयास करो, अगर आप ऐसे में स्वयं को सम्भाल लेंगे तो दोबारा द्वेष करने की भावना आपके मन में नहीं आएगी और कदाचित आ भी गयी तो उस द्वेष को अपने आप पर हावी मत होने दो।
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