इस बार तो हमें जैन कुल मिला है। हम ऐसे कौन से कर्म करें, जिससे हमें अगले भव में भी जैन कुल मिले?
अगर समाज का युवा और दिल्ली जैसे शहर में रहने वाले किसी उद्योगपति का बेटा यह पूछता है, कि “हमें जैन कुल मिला, यह मेरा सौभाग्य है और अगले भव में भी हमें जैन कुल मिले” तो निश्चित रूप से इसके भीतर के संस्कार बोल रहे हैं। मेरा बहुत आशीर्वाद उन सभी लोगों को भी जो इस तरह की भावना रखते हैं, सबके अन्दर ऐसी भावना होनी चाहिए।
जैन कुल को पाना चाहते हो, तो जैनत्त्व का आचरण करो, और जैनत्त्व के आचरण के प्रति गौरवान्वित रहो। आप अतिरिक्त कुछ मत करो, जो कुलाचार है, उसका पालन करो। जैन कुल पाना तो बहुत छोटी सी बात है। आप पुण्य के प्रभाव से आज जैन बने हैं, अगर सही तरीके से जैन धर्म का आचरण करोगे, तो अगले जन्म में जैन तो बनोगे, जिन भी बन सकते हो, और जिनेन्द्र भी बन सकते हैं। यह बना जा सकता है जैन धर्म का आचरण तो करो, जैन कुलाचार का पालन करो; मद्य, माँस, मधु का प्रतिज्ञा पूर्वक त्याग करो। भगवान पंच परमेष्ठी के प्रति आस्थावान बनो, यदि सम्भव हो तो नित्य उनका पूजन वन्दन करो, कम से कम दर्शन तो करो। यदि दूरदराज हो तो कम से कम णमोकार की एक माला तो जरूर करो। रात्रि भोजन यदि मजबूरी नहीं है, तो कभी मत करो। मजबूरी में रात्रि भोजन करना अलग बात है और शौक से रात्रि भोजन करना अलग बात है। यदि इन सब बातों का परहेज करते हैं तो निश्चित तौर पर आप उनसे बच सकते हैं और अगला भव सुधार सकते हैं। आपके निमित्त से औरों का भी भव सुधर सकता है।
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