अपनी वचन शैली और वक्तव्य शैली को उत्कृष्ट कैसे बनाया जा सकता है?
वचन शैली और वक्तव्य शैली दोनों एक ही हैं यानि- अभिव्यक्ति कौशल। अभिव्यक्ति कौशल के कई उपाय हैं। बोलना एक कला है, बोलते तो सब हैं लेकिन कैसे बोलना है, क्या बोलना है, ये एक कला है। अगर किसी व्यक्ति को अपनी बात को ठीक तरीके से प्रस्तुत करना है उसके लिए मुख्य रूप से चार बातें आवश्यक होती है, मैं उस सन्दर्भ में आपकी बात का उत्तर दे रहा हूँ।
जब कोई व्यक्ति प्रवचन कौशल प्राप्त करना चाहे, शायद आपके प्रश्न का भाव कुछ ऐसा ही है, तो सबसे पहले सामने वाले के पास विषय वस्तु होनी चाहिए; और विषयवस्तु तभी आएगी जब आप में अध्ययनशीलता होगी, जितना बन सके आप अध्ययनशील बनें। आपका अध्ययन आपको अच्छी विषय-वस्तु से समृद्ध करेगा। दूसरे क्रम में शब्द सौष्ठव– शब्दों की संयोजना अच्छी होनी चाहिए। तीसरी बात है प्रस्तुति, जिसे अभिव्यक्ति कौशल कहते हैं, प्रस्तुति अच्छी होनी चाहिए। कितना भी बढ़िया भोजन बनाया, परोसने वाले ने अगर चूक कर दी तो सारा मज़ा किरकिरा हो जाएगा। आपको कितना ज्ञान है यह इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, अपने ज्ञान को कितने अच्छे से प्रस्तुत करते हैं यह सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। अध्ययन, शब्द संयोजन और प्रस्तुति, तीनों चीजों को मिलाओ तब कहीं जाकर आप अच्छा वक्तव्य कर सकते हैं। इसमें एक सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है व्यक्ति की स्वयं की मेधा या मनीषा। यह एक नैसर्गिक प्रतिभा होती है जिसे ऊपर कही बातों के बल पर निखारा जा सकता है।
तो जिनके अन्दर स्वाभाविक ऐसी प्रतिभा होती है वो अपनी बात को बहुत आसानी से प्रस्तुत कर देते हैं और सारा खेल प्रस्तुति का ही है।
“बातें तो सब एक हैं, हैं कहने के ढंग,
सिके चने अच्छे लगें, लोन मिरच के संग”
आप नमक-मिर्च किस कॉम्बिनेशन के साथ मिलाने में माहिर हैं, सारा खेल उसके ऊपर निर्भर करता है।
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