ज्ञान के सही उपयोग के लिए अंतर्मुखी कैसे बनें?

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शंका

ऐसा शास्त्रों में आता है कि ज्ञान का सदुपयोग तब है जब हम अपनी दृष्टि को बाहर से हटाकर अंतर की ओर ले जाएं तो इस अंतर की ओर ले जाने के लिए क्या क्रम है?

समाधान

ज्ञान का सही उपयोग अंर्तमुख होना ही  है इसमें कोई संशय नहीं | अंतर्मुखी होने के लिए जो बाह्य आलम्बन है उन को छोड़े, उनको कम करें और बाहर आलंबन को कम करने के लिए कुछ उपाय है पहला तो संपर्क को घटाएं | ब्राह्य संपर्क हमारे जितने प्रगाढ़ होंगे, हमारी अंतर-मुक्ता प्रभावित होगी | इसलिए योगी को कहा गया है कम से कम जनसंपर्क रखो;  क्योंकि जो संपर्क में आएगा वह तुम पर कुछ ना कुछ अपना असर दिखा कर जाएगा | अन्तरमुख होने की पहली condition, आप अपने संपर्कों को कम करें | दूसरी बात अंतर-मुक्ता प्रकट करना चाहते हैं उसका बार-बार स्मरण करें, बार-बार भावना भाये | तीसरी बात अपने वैराग्य को प्रगाढ़ बनाएं, यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी बहिर्मुखी वृत्ति  नियंत्रित होगी और अंतर मुक्ता को प्रकट करने में आप सक्षम होगें |

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