दिन की शुरुआत और अन्त कैसे करें?

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शंका

प्रातः सोकर उठने पर एवं रात में सोने से पहले क्या पाठ, ध्यान या मन्त्र बोलना चाहिए?

विनोद कुमार जी जैन जयपुर

समाधान

सबसे पहले अपने मन को प्रसन्नता से भरो, इतनी प्रसन्नता जैसे जीवन की बहुत बड़ी निधि मिल गई हो। आपको सड़क पर चलते हुए अगर सौ रुपया मिल जाएँ तो चेहरा खिल जाता है। जीवन का एक नया दिन मिला है, तो क्या प्रसन्नता नहीं होनी चाहिए? सुबह उठते समय यदि चित्त में प्रसन्नता होगी तो पूरा दिन प्रसन्नता से बीतेगा। परन्तु यदि सुबह आँख मींढ़ते -मींढ़ते उठोगे तो तुम्हारा पूरा दिन किरकिरा हो जाएगा। मन को प्रसन्नता से भरिए, एक बार कम से कम णमोकार मन्त्र पढ़िए, भगवान को याद कीजिए, पंच परमेष्ठी को याद कीजिए, भगवान को धन्यवाद दीजिए। “हे प्रभु परमात्मा! तेरी कृपा से आज जीवन का एक नया दिन मिला, इतनी शक्ति देना कि आज के दिन को मैं एक अच्छा दिन बना सकूँ, अपने जीवन का कल्याण कर सकूँ, औरों के काम में आ सकूँ।” इस प्रार्थना के साथ अपने दिन की शुरुआत करो। इसके साथ आप अपनी अनुकूलता से जो भी स्तुति, पाठ कर सकते हो, करो। लेकिन जिन्हें कुछ नहीं आता, एक मिनट की ये प्रार्थना तो परमात्मा को धन्यवाद दे कर जरूर करना चाहिए। तुम्हारी ये एक मिनट की प्रार्थना पूरे दिन को अनुशासित करेगी। तुम्हें ऊर्जा देगी, शक्ति देगी, प्रेरणा देगी और जीवन में एक नई स्फुरणा देगी, जो तुम्हारे अन्दर परिवर्तन घटित करेगी।

जब रात में सोने को हो, एक बार फिर भगवान को याद करो। नो बार णमोकार मन्त्र पढ़ो और भगवान को धन्यवाद दो, “हे प्रभु! तुम्हारी कृपा से मैंने आज का दिन अच्छे तरीके से बिताया। मेरा दिन बीता, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। अब मैं विश्राम करने जा रहा हूँ, रात को यदि मेरे जाने की बारी आ जाये तो बस इतनी कृपा कर देना कि जाते समय मेरी आँखें खोल देना, ताकि मैं आखिरी समय भी तेरा नाम लेते हुए इस दुनिया से जाऊँ।” समझ लो तुम्हारी यह प्रार्थना सार्थक हो गई।

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