शंका
घर में अशांति सी रहती है, झगड़े होते रहते हैं। पति-पत्नी की बनती नहीं है हमेशा झगड़े होते रहते हैं। गुस्से में रहते हैं। ऐसे में शांति कैसे हो?
समाधान
कोई एक मौन ले ले तो शांति हो जाए। बुन्देलखण्ड में कहावत है कि ‘गम खाले!’ एक कोई गम खाले तो काम हो जाए और यदि दोनों चालू तो जो चल रहा है, सो चल रहा है।
कहते हैं कि दो बर्तन होते हैं तो आवाज होती है। एक बात ध्यान रखें कि दो बर्तन आपस में टकराते हैं तो शोर होता है। लेकिन अनेक बर्तन आपस में लयबद्ध तरीके से टकराते हैं, सामंजस्य के साथ टकराते हैं तो संगीत बन जाता है। मैं आपसे बस इतना ही कहता हूँ कि टकराओ, पर internal adjustment (सामंजस्य) के साथ; ताकि वो शोर या सिरदर्द न बने, संगीत और आनन्द का आधार बन जाए। एडजेस्टमेंट तो कहीं न कहीं होना ही चाहिए।
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