शंका
प्रतिशोध की भावना कैसे शांत करें?
समाधान
प्रतिशोध की भावना रखना बहुत गलत है और यदि किसी के प्रति आपके मन में प्रतिशोध हो, तो उसके परिणाम का विचार करो। सदैव यह सोचो कि “बैर, विरोध और प्रतिशोध यह जन्म जन्मातर भटकाने वाला है। ऐसी गाँठ बाँधकर मैं कभी सुखी नहीं रह सकता”। हमें अपने मनोभाव में इन सभी बातों का विचार करना चाहिये।
उन प्राणियों की कथा और चरित्र को अपने सामने रखो, जिन्होनें बैर, विरोध और प्रतिशोध सहित अपना जीवन जिया और अपनी दुर्गति की। तो यह सोचो कि मुझे अपनी दुर्गति से बचना है, कभी ऐसा कार्य नहीं करना। साथ में क्षमा की महिमा और प्रताप का चिंतन करो, इससे भीतर के प्रतिशोध की ज्वाला शांत होगी और हृदय में विशुद्धि प्रकट होगी।
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