नव वर्ष कब मनायें?
हमारे देश में नव संवत्सर का प्रारम्भ विक्रम संवत के आधार पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से स्वीकार किया जाता है, इसके अतिरिक्त नव वर्ष की शुरुआत दीपावली से वीरनिर्वाण के हिसाब से भी मानते हैं। पाश्चात्य दृष्टि से पहली जनवरी को नव वर्ष का शुभारम्भ होता है। अत: हमें इस दृष्टि से भी विचार करना होगा क्योंकि आज पूरा कैलेंडर ग्लोबल हो गया है। हालाँकि कई देशों में जैसे चीन आदि में ऐसी व्यवस्था नहीं है, वहाँ के संवत्सरी की अपनी अलग व्यवस्था है। लोक व्यवहार की दृष्टि से यदि हम नव वर्ष पाश्चात्य सभ्यता से मनाते हैं तो यह अनुचित नहीं है।
नव वर्ष पर किन चीजों से बचें?
31 दिसम्बर की मध्य रात्रि में नव वर्ष मनाने के लिए व्यसन बुराइयों, मौज-मस्ती और अश्लील कार्यों में रमकर अपने जीवन को बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस तरह के अनैतिक कृत्यों से बचना चाहिए क्योंकि इसके परिणाम अच्छे नहीं होते। ये सब बस पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण है। नया साल जीवन की एक अच्छी शुरुआत करने के लिये, अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए होता है, इस दिन अच्छे संकल्प करने चाहिए। व्यसन बुराइयों का परिणाम बुरा ही होता है – शुरुआत में लोग शोक से बुराइयों को अपनाते हैं, बाद में उन बुराइयों से ऐसे जकड़ जाते हैं कि जीवन भर बाहर नहीं निकल पाते। अपनी मर्यादा की बाँध को टूटने मत दें। अपने जीवन में संयम बना कर रखें।
नव वर्ष का स्वागत कैसे करें?
भारतीय परम्परा के अनुसार, सूर्योदय से दिन की शुरुआत होती है। नव वर्ष के दिन सूर्योदय से पहले अपना बिस्तर छोड दें और उगते सूरज को प्रणाम करें जिससे हमारे जीवन का सूरज भी उग सके। पहले ही दिन हमने सूर्योदय नहीं देखा तो हमारे भाग्य का सूर्योदय कैसे होगा? नव वर्ष का स्वागत शुभ संकल्पों के साथ करिए। 1 जनवरी की सुबह जैसे ही सूरज उगे तब भगवान का अभिषेक, पूजन, वन्दन करके नव वर्ष का स्वागत करें और सारे विश्व के मंगल एवं कल्याण की, सारे लोक के अभ्योदय और विकास की प्रार्थना करनी चाहिए।
_”मंगल मंगल होय जगत में, सब मंगलमय होय ।_
_इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय।।”_
ऐसे प्रार्थना करें, मंगल गान करें और अपने समाज के, अपनी संस्कृति के और अपने राष्ट्र के निर्माण के लिये कुछ शुभ संकल्प लें जिससे नया वर्ष हमारे जीवन के नवोत्कर्ष का कारण बने।
Edited by- Abhishek Jain, Delhi
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