नव वर्ष मनाने के लिए कोई पब (pub) जाता है, कोई होटल (hotel) में जाता है, तो कोई नशा करता है। गुरुवर मार्गदर्शन दीजिए कि इससे कैसे बचा जाए?
ऐसी बात नहीं कि नववर्ष की खुशी केवल जैन मनाते हैं, ये सब मनाते हैं। नववर्ष की खुशी अगर लोक व्यवहार की दृष्टि से लोग मनाते हैं तो मुझे कोई आपत्ति और असहमति भी नहीं है। मनाइए, लेकिन ऐसा मनाइए जिससे यह वर्ष तुम्हारे उत्कर्ष का कारण बने, तुम्हारे पतन का नहीं। व्यसन, बुराइयों में और मौज मस्ती में अपने जीवन को बर्बाद करना कतई उचित नहीं है। अगर नए वर्ष को आप मनाना चाहते हो और चाहते हो कि इससे हमारे जीवन की एक अच्छी शुरुआत हो, शुभ संकल्पों के साथ नववर्ष को मनाइए। अपने जीवन को आगे बढ़ाने की भावना के साथ नव वर्ष बनाओ।
व्यसन, बुराइयों का क्या अंजाम होता है, उन्हें देखिए! शुरुआत में लोग शौक से बुराइयों को अपनाते हैं, बाद में उन बुराइयों में ऐसे जकड़ जाते हैं कि जीवन भर बाहर नहीं निकल पाते। एक ऐसे ही युवक का मेरे पास समाचार आया जो इस तरह के व्यसन, बुराइयों में फंसा, उसकी शुरुआत इसी तरीके से हुई थी। शौक से शुरू हुई और आज पूरी पढ़ाई उसे बीच में छोड़नी पड़ी। आई आई टी (IIT) की पढ़ाई बीच में छोड़ करके उसको घर में आना पड़ा। ड्रग्स (drugs) का बहुत ज़्यादा एडिक्ट (addict) हो गया, जीवन बर्बाद हो गया। जीवन खोखला हो गया। उसने बताया कि वह बारहवीं तक तो बहुत सादगी से जीवन जीता था। आई आई टी करने के लिए गया तो वहाँ उनके दोस्तों की ऐसी संगति हो गई। वे कहते “धीरे-धीरे थोड़ा सा एन्जॉय (enjoy) करने में क्या दिक्कत है, एन्जॉय करने में क्या दिक्कत है।” सबसे पहले बीयर (beer) में पानी मिला कर दिया। फिर बीयर पी, फिर शराब पी। जब बांध टूटता है तो फिर सर्वनाश ही होता है, कोई उपाय नहीं। इसलिए मैं उन सब लोगों से कहूँगा अपने मर्यादा के बाँध को टूटने मत दो। अपने जीवन में संयम बना कर रखो, सलामती बना कर रखो। ताकि जीवन में कभी इस तरह की दुर्घटना न घटे। अन्यथा तुम्हारा यह मनुष्य जीवन यूँ ही व्यर्थ हो जाएगा।
जिसे तुम मज़ा मान कर स्वीकार कर रहे हो वह तुम्हारी जीवन की भयानक सजा बन जाएगी। अगर देखना है, तो उन लोगों के जीवन को नजदीक से जा करके देखो। जो इस तरह की बुराइयों में आकंठ फंसे हैं। उनका जीवन कितना विकृत और घिनौना हो गया।
Leave a Reply