पर्यूषण पर्व कैसे मनाएं?
पर्युषण हमारे मन के प्रदूषण को दूर करने का प्रसंग है। पर्युषण के दिनों में व्यक्ति अपने मन के प्रदूषण को दूर कर दे, तो उसका पर्युषण सच्चे अर्थों में सार्थक हो जाएगा।
हमें पर्युषण की तैयारी दो स्तरों पर करनी चाहिए, एक-अपने परिणामों की विशुद्धि की और दूसरी-अपनी साधना की वृद्धि की। साधना की वृद्धि-एकासन, उपवास और नियम-संयम के माध्यम से; जो अलग -अलग व्रत आदि अंगीकार करते हैं, वह आपकी साधना की वृद्धि है। लेकिन साधना की वृद्धि के साथ विशुद्धि की वृद्धि भी ध्यान में रखना चाहिए। जब तक विशुद्धि को व्यक्ति अपने ध्यान में नहीं रखता, तब तक जीवन का कल्याण नहीं।
तो, दस दिन के दसलक्षण के अवसर पर ऐसा कुछ प्रयास करें कि विशुद्धि सबके हृदय में विकसित हो और उस विशुद्धि के परिणामस्वरूप सबके मनोभाव उज्जवल हों, आपकी कषायों का शमन हो, क्योंकि कषायों का शमन ही हमारे लिए सबसे बड़ा धर्म कहा गया है। इसलिए कषाय-शांति, कषाय-शमन और परिणामों की निर्मलता के प्रति सतत जागरूकता होनी चाहिए।
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