गाय, भैंस, बकरी में जो दूध होता है वह उनके शरीर में से ही आता है। उस दूध को हम शाकाहारी कैसे मान सकते हैं?
जो-जो प्राणी के शरीर से निकलता है वह सब माँस नहीं होता। दूध को रस कहा जाता है। रस और रक्त में भिन्नता है। रक्त को आप धरती पर डालो उसका रूप अलग होगा और रस को धरती पर डालो, रूप अलग होगा। गाय के शरीर से रक्त बहता है, गाय को तकलीफ होती है और गाय के शरीर से दूध निकाला जाता है तो गाय को कोई परेशानी नहीं होती है। यदि गाय के शरीर से दूध न निकाला जाए तो गाय को कष्ट होगा। यदि गाय के शरीर से रक्त निकाल दिया जाए तो ज़्यादा निकल जाने पर गाय बचती नहीं है। रस अलग चीज है और रक्त अलग चीज है।
भारत में दूध को हमेशा हमारे सन्तों ने हर धर्म में स्वीकार किया; और दुग्ध क्षीरान्न, हमारे तीर्थंकरों ने तो प्रथम आहार के रूप में प्रमुखता से लिया। रस और रक्त दोनों को भिन्न-भिन्न समझना। दूध को किसी भी तरह से नॉनवेज (non-veg) नहीं कहा जा सकता क्योंकि दूध की व्यवस्था बिल्कुल भिन्न है, अलग है। दूध गाय के शरीर में बनता है, उसको चारा देने के बाद शरीर में दूध बनता है। यह ऐसा ही है जैसे रा मटेरियल (raw material) डाला और प्रोडक्ट (product) निकला। चारा देने के बाद दूध की उत्पत्ति हुई। यह भी प्रयोग में सिद्ध हुआ है कि एक माँ को भी यदि अतिरिक्त पोषण दिया जाए तो माँ के शरीर में भी बच्चे को पिलाने से अतिरिक्त दूध प्रकट हो सकता है। इसलिए दूध में किसी भी प्रकार का दोष नहीं।
दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि दूध के उत्पादन के समय बछड़े को पर्याप्त दूध मिले। थोड़ा दूध बछड़े के लिए छोड़ने की परिपाटी रही है क्योंकि पूरा दूध अगर बछड़े को पिला दें तो बछड़ा भी बीमार हो जाएगा। गाय एक मात्रा में दूध देती है इसी से गोपालन होता है। अगर आप दूध पीना ही बंद कर देंगे तो गोपालन कैसे होगा। एक थन बछड़े का हक है उसे देना चाहिए बाकि लेने वाले लें। इंजेक्शन का प्रयोग करके दूध उत्पादन न हो। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन (oxytocin injection) का आजकल अन्धाधुंध प्रयोग होने लगा है वह कैंसर का कारण है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से और भावनात्मक दृष्टि से ये दोनों प्रकार के दूध लेने योग्य नहीं है। इसलिए दूध को कभी भी माँसाहारी नहीं कहा जा सकता। यह भ्रम निकाल दीजिए। कुछ लोग जो vegan हैं, वे दूध नहीं लेते। न लेना अच्छा है लेकिन दूध लेने का मतलब नॉनवेज लेना नहीं है।
शाकाहार का मतलब होता है शाक+आहार याने शाक ही जिसका आहार हो , उस दृष्टि से दूध को शाकाहार कहना उचित नहीं हाँ मांसाहार भी नहीं कह सकते ये दुग्धाहार कहा जा सकता है |
दुनिया मे किसी भी माँ को दूध उसके बच्चे होने पर आता है अत: नैतिक रूप से उस दूध पर पूर्ण अधिकार उसके बच्चे का है किसी और का नहीं |
अगर घास खिलाने से सिर्फ दूध ही बनता हो तो अलग बात है उससे रक्त आदि बनता है वैसे कई लोग कहते हैं हर दूध रक्त से ही बनता है चाहे इंसान का हो या गाय भैंस का |
परिपाटी किसी धर्म मे जानवरो को मारने की हो तो वो सही काही जा सकती है क्या?
दूध के धंधे ने गाय भैंसो की हत्या का धंधा बढ़ा दिया है और उसमें हमारा सहयोग हो जाता है जब हम उस धंधे के अप्रत्यक्ष सहयोग करते हैं दूध के व्यवसाय को बढ़ावा देकर |
कहाँ जाती है सब गाय भैंसे जिनसे बच्चे पैदा नहीं होते? कहाँ जाते हैं सब नर बच्चे ?