बच्चों को ज़मीकंद न खाने के लिए कैसे समझाएं?

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शंका

बच्चों को आलू-प्याज़ व रात को खाना खाने के लिए मना करते हैं फिर भी वे नहीं मानते। इसका क्या उपाय करें?

समाधान

नहीं मानते हैं तो आप मानना शुरू कर दो। उनको बार-बार कहना बंद करो, बच्चे अपने तरीके से जीते हैं; भावना रखो कि-“बच्चे ऐसा न करो” पर उन पर थोपो मत!

आप कह रहे हो आलू मत खाओ, प्याज़ मत खाओ, जमीकदं मत खाओ, कभी आपने यह बताने की कोशिश की अपने बच्चों को, बचपन से, कि यह क्यों नही खाते? क्यों ना खाओ? उनको यह बताओ कि इसमें अल्पफल बहुविघात है, अधिक जीव हिंसा है। ये अनंतकायिक है। अगर हम आम खाएंगे, सेव खाएंगे तो वह अप्रतिष्ठित है, उसमे अनंत जीव नहीं है; लेकिन आलू, गाजर, मूली जैसा कोई भी जमीकंद खाएंगे तो उसमें सुई की नोक बराबर स्थान पर अनंतानंत जीव हैं, अल्पफल बाहुविघात है। उनके हृदय में संवेदना जागृत करिए, उन्हें ऐसे समझाइए कि उनके में ये चीज़ें खाने की इच्छा ही ना हो।

अभी एक महीने पहले एक बहन जी आई थी। उनके साथ उनकी तीन साल की बच्ची थी। उस बच्ची के भाव देखो, कुछ भी खाना पसंद नहीं करती; ना टॉफी, ना बिस्किट, ना आलू, न प्याज, न गाजर, न मूली! मैंने कहा, गजब के संस्कार हैं, पूर्व जन्म के संस्कार ले कर आई होगी!  उसको लोग प्रेरित करते हैं, तो कहती-” ये मैं नहीं लेती, ये गंदी चीजें हैं।” छोटी बच्ची है, अपने आयु के अनुसार इतना ही के सकती है। मैंने कहा-” बहुत अच्छा भाग्य लेकर आई हो जो तुम् इस संतान की मां बनी हो। अब इसकी ऐसी व्यवस्था बनाओ कि कोई इसको प्रेरित ना करें, बाध्य न करे।” मां और पिता ने कहा- “महाराज, इसको देखकर हम लोग सुधर गए; हम लोगों की इच्छा नहीं होती।” इस तरीके से करेंगे तो काम होगा।

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