आपको कैसा लगा था जब आप मुनि बने थे? क्या आपने बचपन से ही सोच रखा था मुनि बनने का और हम क्या करें कि हमारे भी भाव बने मुनि बनने के?
दर्शील जैन, तेन्बी
इसकी मम्मी को डर तो नहीं लग रहा है? बहुत अच्छे संस्कार तुमने बेटे को दिए हैं तभी उसके अन्दर ऐसे भाव हुए हैं कि तुम्हारी कोख को कृतार्थ कर सके और तुम्हें भी जगत पूज्य बना सके।
जिस दिन मैं मुनि बना था न तो मुझे ऐसा लगा कि मेरे ऊपर का सारा बोझ उतर गया है और आज मैं बहुत हल्का हो गया हूँ, बहुत हल्का हो गया हूँ। उस दिन मुझे लगा कि अब मेरा संसार ज़्यादा नहीं बचा है, अब मैं बहुत जल्दी मुक्ति को प्राप्त कर जाऊँगा। बचपन से मुनि बनने के बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था। सोचा था कि मुझे कुछ न कुछ बनना है, क्या बनना है ये तय नहीं किया था पर जब गुरुदेव को देखा तो मुझे लगा अगर बनना है, तो इन जैसा बन जाओ, इससे अच्छा और कुछ बनने लायक नहीं है। तुम मुनि बनना चाहते हो तो मुनियों का हमेशा समागम करो, उनके सानिध्य में रहो, उनके गुणों को याद करो, तुम्हारे अन्दर मुनि बनने का उत्साह दिखेगा और जब तुम्हारे भीतर का पुण्य उछाल मारेगा न तभी मुनि बन पाओगे।
Leave a Reply