जीवन का एक समय ऐसा आता है जब हम अपने जीवन का सबसे बड़ा निर्णय लेना पड़ता है- संसार मार्ग या मोक्ष मार्ग। हम मोक्ष मार्ग को कैसे चुनें और हमारा सफर एक नाव पर कैसे चले, समाधान करें?
मेरा तो मानना यह है कि दूसरों से पूछ कर इस दुविधा को दूर नहीं किया जाता, अन्दर की आवाज से दूर किया जाता है। हमने अपने जीवन का चुनाव किया, किसी से पूछ कर नहीं किया, हमारा खुद का निर्णय था और हमारा स्व प्रेरित जो निर्णय था उसने आज हमें सफलता के शिखर पर पहुंचाया। आज हमने जिस मार्ग को चुना, उस मार्ग पर निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं। दूसरा कोई मेरे इस निर्णय में सहायक नहीं हो सकता। हम दूसरे के opinion से अपने आप को कैसे बढ़ायेंगे? इसमें हमारी खुद की अपनी सोच होनी चाहिए।
लेकिन व्यक्ति को ये सोचना चाहिए कि जिस मार्ग पर मैं जाना चाह रहा हूँ उस मार्ग के लायक मैं हूँ या नहीं? आप क्यों संसार मार्ग को छोड़ना चाहते हैं तो क्या जवाब दोगे? प्राय: लोग बोलते हैं कि ‘अरे महाराज संसार में बड़ा दुःख है, संसार में सार नहीं है’, इसलिए जो व्यक्ति संसार के दुःख से घबरा करके मुनि बनेगा, वह मुनि जीवन का निर्वाह नहीं कर पाएगा क्योंकि तुमसे ज़्यादा दुःख हमारे पास हैं। अगर देखो तो प्रतिकूलतायें हमारे सामने ज़्यादा है,कोई फैसिलिटी नहीं है, तुम्हारे पास तो सब प्रकार की अनुकूलता है। तो जो मनुष्य अपने जीवन के दुखों से घबराकर इस मार्ग में लगेगा वह इस मार्ग का मज़ा ले ही नहीं सकता। मुझे अपने जीवन को बेहतर बनाना है, मुझे अपने जीवन को सुंदर बनाना है, मुझे अपने जीवन का उद्धार करना है, यह प्रेरणा मेरे मन में आए और मैं इस मार्ग में निकलूँ, न केवल निकलूंगा, तभी तो उसका अच्छे से निर्वाह करके अपने जीवन का निर्माण भी कर सकूँगा, तो अपने आप को मजबूत बनाइए और अपने भीतर उसी अनुरूप देखने की कोशिश कीजिए।
Leave a Reply