सम्यक्त्व गुणों का विकास कैसे करें?

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शंका

हम अपने सम्यक्त्व गुण को कैसे समझें और कैसे इन महान गुणों का विकास करें?

समाधान

पहले तो आप सम्यक्त्व गुणों के स्वरूप को समझें और देखें कि मेरे किसी गुणों में कमी तो नहीं आ रही है; खासकर प्रशम, संवेग, अनुकम्पा और आस्तिक्य ये सम्यग्दर्शन के चार गुण हैं। निःशंकित आदि सम्यग्दर्शन के आठ अंग हैं। इन पर पूरे दृढ़ता से आप नजर रखें और इनमें किसी भी प्रकार की कोई भी कमी न आने दें और गृहीत मिथ्यात्व का त्याग करें। निरन्तर शास्त्र का स्वाध्याय करें और गुरुओं का समागम करें। इससे न केवल आपका सम्यक्त्व पुष्ट बनेगा अपितु स्थिर भी रहेगा।

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