आज के भ्रष्टाचार के युग में धर्म – सम्मत व्यापार कैसे करें?

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शंका

हम लोग व्यापारी वर्ग से संबंध रखते हैं और हम प्रयत्न करते हैं कि पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपना व्यापार करें। किंतु आजकल का जो माहौल है, जिसमें सरकारी भ्रष्टाचार, राजनीतिक भ्रष्टाचार और उसके साथ साथ जो असामाजिक तत्व (anti-social elements) सक्रिय हैं, इनसे हम लोग बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं और धर्म के रास्ते पर चलकर हम लोग व्यापार नहीं कर पाते। तो हमें कुछ ऐसा सुझाव दें जिससे हम इन बुराइयों से बचकर अपना व्यापार कर सकें।

समाधान

आज की व्यवस्था ऐसी है कि जिसे आप भ्रष्टाचार कहते हैं वह शिष्टाचार बन गया है। व्यवस्था ही गड़बड़ हो गई है और ऐसी व्यवस्था में व्यक्ति को धर्म के रास्ते पर चलकर व्यापार करना कठिन है परंतु असंभव नहीं। मैं आपसे कहता हूं, जब यह तंत्र पूरी तरह से भ्रष्ट चुका हो कुछ जगह आपकी ऐसी बाध्यताएं हो जाती है जिसमें न चाहते हुए भी आपको बहुत कुछ खर्च करना पड़ता है। एक सिद्धांत बनाएं कि – “मैं अवैधानिक कार्य भले ही कर लूं लेकिन अनैतिक कार्य कभी नहीं करूँगा।” 

अनैतिक और अवैधानिक में अंतर है; अवैधानिक वह जो विधि-विधान के विरुद्ध हो, नियम-कायदे के विरुद्ध हो; जो आप लोग रोज करते रहते हो कच्चा पक्का में; यह सब अवैधानिक है। अनैतिक वह जिसमें किसी का शोषण हो, किसी के साथ हिंसा हो, जिसमें किसी के प्रति विश्वासघात हो, जहां किसी को प्रताड़ित किया जाता हो; जीवन में ऐसा कार्य मत करो। 

हिंसामुक्त, अनीतिमुक्त और प्रमाणिकतायुक्त व्यवसाय करो तो यह भी धर्म सम्मत व्यवसाय है।

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