धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान कैसे?

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शंका

धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान कैसे?

समाधान

वही है जो आचार्य गुरूदेव कहते हैं। आचार्य गुरूदेव के कथन अनुसार शुक्लचार्य पूर्वविधः इस सूत्र से शुक्ल ध्यान श्रेणी में वह धर्म ध्यान भी मानते हैं और शुक्ल ध्यान अपूर्व विदों को भी होता है। शायद दो परंपरा है, एक परंपरा के अनुसार श्रेणी में शुक्ल ध्यान का सद्भाव है और एक परंपरा के अनुसार श्रेणी में धर्म ध्यान भी होता है। तत्वार्थ की परंपरा में प्रायः  श्रेणी में शुक्ल ध्यान की व्यवस्था है पर कहीं ना कहीं आचार्य उमा स्वामी को यह ईष्ट रहा होगा कि श्रेणी में भी धर्म ध्यान होता है। शायद इसीलिए उन्होंने सबके स्वामी की चर्चा की धर्म ध्यान के स्वामी की चर्चा नहीं कि।

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