मनुष्य अपनी सोच का विस्तार कैसे बढ़ाएँ?
इसे दूसरे तरीके से कहा जा सकता है कि मनुष्य अपने सोच के स्तर को कैसे ऊँचा कर सकता है? अपनी सोच को ऊँचा उठाने के लिए हमेशा अच्छी सोच के लोगों की संगति करो। अच्छे विचारों से बड़े लोगों की जीवनी पढ़ो, जिससे हमारे विचारों में प्रौढ़ता आये और हमारे विचार परिष्कृत हों, ऐसा साहित्य पढ़ो। विचार बहुत संक्रामक होते हैं, एक-दूसरे के विचारों का एक-दूसरे के विचारों पर गहरा असर होता है। मैंने कहा विचार बहुत संक्रामक होते हैं, ठीक वैसे ही संक्रामक होते हैं जैसे ताली, एक आदमी ताली बजा दे, सब ताली बजा देते हैं। एक बजायेगा तो सब बजायेंगे। जैसा वातावरण होता है वैसा ढल जाता है। आप अगर छोटी सोच के लोगों की संगति में रहोगे, आपकी सोच छोटी हो जाएगी। आप नकारात्मक सोच के लोगों के सम्पर्क में रहोगे, आपकी सोच नकारात्मक हो जाएगी। अगर अपने जीवन को ऊँचा उठाना है, तो हमेशा ऊँची सोच के लोगों की संगति करो। बड़ी सोच रखने से ही व्यक्ति ऊँचा होता है और हमारे यहाँ एक सूक्ति है जो मेरी बड़ी प्रिय सूक्ति है “ उन्नतं मानसं यस्य भाग्यं तस्य समुन्नतं” जिसका मानस ऊँचा होता है, उसका भाग्य ऊँचा होता है इसलिए मन को ऊँचा रखो।
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