शंका
आज के प्रतिष्ठाचार्य प्रतिष्ठा में ऐसा क्या करें कि जो सांगानेर वाले बाबा की मूर्ति में जो जीवंतता है, वो हर प्रतिष्ठित प्रतिमा में आए?
समाधान
प्रतिमा की प्रतिष्ठा एक सामान्य बात है लेकिन उसमें जो उसका प्रभाव होता है, उसमें तीन लोगों की केंद्रीय भूमिका होती है। एक है कार्यापक, दूसरा है प्रतिष्ठाचार्य और तीसरा है सूर्यमंत्र प्रदाता। कार्यापक यानि जिसने मन्दिर बनाया, जो प्रतिष्ठा करा रहा है वो कार्यापक कहलाता है। मन्दिर बनाने वाला उसकी भाव शुद्धि इसमें बहुत बड़ा निमित्त बनती है। दूसरा है प्रतिष्ठाचार्य, प्रतिष्ठाचार्य जितना ज्ञानी, मन्त्रवेद, त्यागी, संयमी और साधक होगा, उसकी विधि उतनी उन्नत होगी और तीसरा है उस प्रतिष्ठा का मन्त्रदाता, सूर्यमंत्र प्रदाता जो कि आचार्य या मुनि, वे जितने उत्कृष्ट साधक होंगे, प्रतिष्ठा पर उतना प्रभाव पड़ता है।
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