शंका
हम अपनी आत्मा में झांकते हैं तो हमें शुद्ध का अनुभव नहीं होता है। गुरूदेव! हमें ऐसा अनुभव दीजिए जिससे कि हम आत्मा में सद्विचार रखें। और परमात्मा बनने का लक्ष्य पाने का किस प्रकार से प्रयास कर सकते हैं?
समाधान
शुद्ध का अनुभव वही करते हैं जो शुद्ध होते हैं। दूध की डकार वही लेते हैं जिनके पेट में दूध होता है; मट्ठा पिए हुए लोगों के मुख से दूध की डकार नहीं आती। पेट में मट्ठा भरा है और दूध की डकार लेने का प्रयास कर रहे हो? विषय कषाय में आकंठ डूबे लोग ‘शुद्ध’ का अनुभव नहीं कर सकते। आत्मा में शुद्धि का अनुभव करना है, तो विषय कषायों को जीतना होगा जो केवल वैराग्य के पथ पर चलने से ही होगा।
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