अपना मन जिनेंद्र देव की भक्ति में कैसे लगाएँ?

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शंका

कभी-कभी हम जब स्वाध्याय करते हैं, पूजन आदि करते हैं, तब कभी-कभी बहुत अच्छा मन लगता है, परंतु कभी कभी बिल्कुल भी मन नहीं लगता है। तीर्थंकर प्रभु की भक्ति में, जिनेंद्र देव की भक्ति में अपने मन को हम कैसे लगाएँ?

समाधान

मन क्या होता है? मन के साथ बहुत सारी चीजें होती हैं। कभी मन नहीं लगता जैसा आपने कहा। जब कभी कभी मन उलझा हुआ रहता है, तो मन को लगाना बहुत मुश्किल हो तो मन को लगाने के लिए अभ्यास की आवश्यकता है। जब भी आपका मन उद्दीन और बेचैन होने लगे, मन ना लगे, तो कुछ अच्छा पढ़कर, अच्छा सुनकर, अच्छा सोचकर अपने मन को तैयार करें और फिर उसके बाद जब आप पूजा पाठ में लगेंगे तो आपका मन लगेगा। अनेक प्रकार के विकल्प अगर लेकर के चलते हैं तो मन को लाभ नहीं होगा।

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