आगम में बताया गया है कि शील व्रत के भेद अठारह हजार प्रकार से होते हैं। क्या शील व्रत खण्डित होता है? वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सिनेमा, टी.वी. आदि के कारण शील व्रत का पालन होना अत्यन्त कठिन कार्य है, इनसे कैसे बचा जा सकता है?
शील के अठारह हजार भेद हैं, चौरासी लाख गुण हैं और यह सम्पूर्ण शील गुण, अरिहंत अवस्था में चौदहवें गुणस्थान में प्रकट होते है।
भूमिका के अनुरूप शील व्रत का पालन करना चाहिए। आम गृहस्थों को शील व्रत का पालन करने के लिए ऐसा कहा गया है कि सब प्रकार के शारीरिक और भौतिक निमित्तों से बचें, जिससे यौन विकृति में उभार आता हो। मीडिया आज बहुत बड़ा निमित्त है, जो व्यक्ति के चित्त में विकृति भरता है, ऐसे निमित्तों से बचना चाहिए। निश्चित रूप से ऐसे विकल्पों को देखने के बाद मन में विकार आते हैं। ये विकार अतिचार है, इसलिए ऐसे निमित्तों में अपने शील का निर्दोष पालन करना चाहते हैं, तो ऐसे माध्यमों से अपने आपको दूर रखें, यही उत्कृष्ट मार्ग है।
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