यदि कोई हमें ईर्ष्या दृष्टि से परेशान करे तो कैसे संभलें?
ईष्या के परिणाम कुचक्र है; जो ईर्ष्यालु होते हैं वे कुचक्र रचते हैं, वे सामने वाले को तरह-तरह से परेशान करने की कोशिश करते हैं, इल्जाम लगाते हैं और कई लोग केस-मुकदमे के चक्कर में भी डाल देते हैं। अब रहा सवाल, उनका सामना हम कैसे करें? ईर्ष्यालु के प्रति अपना प्रेम-पूर्ण व्यवहार बनाने की चेष्टा करो और यदि यह नहीं हो पाता, तो आप उनके व्यवहार को IGNORE करके अपने आप को मजबूत बनाए रखो; जैसे कांटो के बीच में फूल खिला रहता है। अपने मन में यह धारणा बनाओ कि-“सामने वाला तो केवल निमित्त है, भीतर से मेरे कर्म के उदय ही मूल कारण है; मेरा पापोदय है, इसलिए आज वह मेरे प्रति विपरित व्यवहार कर रहा है, इस घड़ी में समता रखना है।” सामने वाले व्यक्ती के प्रति थोड़ा बहुत भी दुर्भाव मन मे मत रखो और एक धारणा बनाकर ररवो कि-“मेरे पुण्य का उदय होगा तो जलने वाले कितने भी जले, मेरा बाल बाँका नही होगा! मेरे पाप का उदय होगा अपनों द्वारा ही छ्ला जाऊंगा।”
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