शंका
अपने परिणामों को किस प्रकार से सम्भालें?
समाधान
जिन निमित्तों से परिणामों में शुद्धि बढ़ती हो, विशुद्धि बढ़ती हो उन निमित्तों को प्रमुखता दें और जब भी मन हमारा इधर-उधर भटकने लगे तो अपने मन की निंदा करें और अपने आप को संभालने की कोशिश करें, अपने आप को धिक्कारें कि मेरा मन कहाँ भाग रहा है, यह ठीक नहीं है। ऐसा करने से आपका मन अपने आप लौट आयेगा। इससे परिणामों में विशुद्धता बढ़ेगी और सबसे अच्छा रास्ता और सरलतम रास्ता तो यह है कि जितना बने अच्छे कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखने का प्रयास करें और अशुभ से बचते रहें।
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