शंका
पुलाक, बकुस, कुशील, निर्ग्रंथ और स्नातक-इन पाँचों में पुलाक, बकुस और कुशील को हम कैसे पहचानेंगे?
समाधान
ये सब आगम में वर्णित है। सभी तीर्थंकरों के काल में होते हैं और ये सब भाव लिंगी होते हैं। बाहर से लगभग सब समान होते हैं पर पुलाक और बकुस की स्थूल पहिचान आगम में बतायी है कि ‘पुलाक मुनि कदाचित मूल गुणों में दोष लगा लेते हैं; और बकुस मुनि- उपकरण बकुस और शरीर बकुस से दो प्रकार के होते हैं। बकुस मुनियों में अपने उपकरणों के प्रति ज़्यादा आसक्ति होती है, अपने शरीर के प्रति भी लगाव होता है और ये अपने परिवार से भी सम्पर्क रखते हैं। कुशील- कषाय कुशील और प्रतिसेवना कुशील! कुशील के भेद से दो प्रकार के कहे गए हैं, जिसमें प्रतिसेवना कुसील गर्मी आदि की अधिकता में अपने जंघा आदि की प्रच्छालन की क्रिया कर लेते हैं, ये बहुत स्थूल पहिचान है।
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