विषम परिस्थितियों में वैराग्य को कैसे दृढ़ रखें?
विषम परिस्थिति में दृढ़ता लाना ही वैराग्य का मूल लक्ष्य है। विपरीत परिस्थितियों में स्थिरता लाने के लिए ही वैराग्य लिया जाता है। विपरीत परिस्थितियों में वैराग्य को दृढ़ करना वाकई में बहुत गम्भीर है। वैराग्य और ज्ञान यह हमारी आत्मा की दो प्रबल शक्तियाँ हैं। ज्ञान से वैराग्य को दृढ़ किया जा सकता है। जब भी मन विषयों की ओर भागने लगे उस समय अपने ज्ञान का इस्तेमाल करें। ज्ञान से दृढ़ता मिलती है, संबल आता है। हम लोग कहते हैं “ज्ञान समान न आन जगत में सुख को कारण, यह परमामृत जन्म जरा मृत्यु रोग निवारण” (छहढाला) ज्ञान से हम अपने मन को मोटिवेट करें और मन को मोटिवेट करके हम अपने मन को अपने लक्ष्य से बाँध सकते हैं उसमें स्थिर रख सकते हैं। “सम्यक दृष्टेर भवति नित्तम ज्ञान वैराग शक्ति” की जो युक्ति है वह इसे ही चरितार्थ करती है।
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