मनःस्थिति निर्मल है, तो परिस्थिति क्या काम करेगी?
मनःस्थिति निर्मल है, तो परिस्थिति का क्या कहना? परिस्थिति का रोना अज्ञानी रोता है और मन स्थिति का ख्याल ज्ञानी रखता है। अज्ञानी परिस्थिति का रोना रोता है और ज्ञानी अपनी मन स्थिति का ख्याल रखता है। हर हाल में अपनी मनःस्थिति को ठीक रखो। यदि तुमने अपनी मनःस्थिति पर संतुलन बनाने की कला सीख ली तो हर हाल में मस्त जीने का आनन्द ले सकते हो। वस्तुतः जीने के आनन्द का रस ही इसमें है कि अपने आप को हर परिस्थिति में ढाल लो।
लेकिन ये कौन ढाल सकता है? आप देखो कि पानी को जिस बर्तन में डालो पानी समा जाता है। बर्फ को डाल सकते हो हर किसी बर्तन में? बर्फ के आकार के बर्तन चाहिए तो वो उसमें समायेगी। बर्फ सब जगह adjust (समायोजित) नहीं होती, पानी सब जगह adjust (समायोजित) हो जाता है। मैं आपसे केवल इतना कहना चाहता हूँ कि अपने मन को पानी की तरह निर्मल बना लो। हर परिस्थिति में adjust (समायोजित) हो जाओगे। तुम्हारा मन यदि बर्फ की तरह कठोर है, तो उसमें सत्संग समागम की, तत्त्व ज्ञान की आँच दे दो, तुम्हारा बर्फ सा मन, पानी हो जायेगा और हर हाल में हर स्थिति में adjust (समायोजित) हो जायेगा। इसलिए परिस्थिति का रोना रोने की बजाय मनस्थिति को साध लेना बहुत जरूरी है।
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