जहाँ इतनी भीषण गर्मी चल रही है कि हम लोग ए. सी. और कूलर में परेशान हैं, वहाँ आपका विहार चल रहा है। यह बहुत ही गजब है, हम लोग कैसे अपने आप को भी इस तरह के बनाए हम लोग ऐसे रहे सके।
ए.सी. और कूलर में रहने वाले परेशान होते हैं और वो जो परेशान होते हैं उनको ए.सी. और कूलर की जरूरत होती है। जो अपने में मस्त होते हैं, उनको एयर कंडीशनर में आनन्द नहीं आता, उनको फेयर कंडीशन में आनन्द आता है।
मैं तुमसे सवाल कर रहा हूँ, तुम ए.सी.को छोड़ करके यहाँ आए हो, यहाँ ज़्यादा अच्छा लग रहा है या जब ए.सी.में बैठे थे तो वहाँ अच्छा लग रहा था? आज से तय कर लो कि जहाँ ए.सी. नहीं है वहाँ रहेंगे, ज़्यादा अच्छा लगेगा। मन से स्वीकार कर लोगे तो सब होगा। ये एक साधना है। आज हम लोगों का शरीर इतना सक्षम नहीं है कि हम सूर्य की तरफ मुँह करके प्रचंड किरणों के मध्य बैठें, लेकिन जितनी तपस्या, जितनी साधना, जितनी आराधना इस शरीर के बल पर किया जा सके, करें। मनुष्य को चाहिए कि वह सुविधाओं का कम से कम उपयोग करें, सुविधावादी जीवन न बनाएँ, प्रकृति के अनुकूल अपना जीवन जीने की कोशिश करें। प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर के चलने का प्रयास करें। आप जितना कष्टों को सहन करेंगे आपका जीवन उतना ऊँचा और महान बनेगा। अपने जीवन को उसी अनुरूप बनाने की कोशिश करनी चाहिए, उसी तरीके का प्रयास करना चाहिए।
कष्ट सहिष्णुता मनुष्य को समर्थ बनाती है। सुविधा भोगित्व मनुष्य को कमजोर बनाती है। आज के मनुष्य के साथ ऐसा ही देखने में आ रहा है, जरूरत से ज़्यादा सुविधाओं के आदी हो जाने के कारण वह अन्दर से खोखला होता जा रहा है और जब जीवन में थोड़ी सी भी विपत्ति आती है, तो उसे बर्दाश्त नहीं कर पाता, वह अपने आप में टूटा सा महसूस करता है, तो अपनी शक्तियों को विकसित करें, कष्टों को सहन करने का अभ्यास बनाएँ। धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा सहन करे तो सब अच्छा होगा। मैं तो आपको एक ही बात कहता हूँ सर्दी-गर्मी और insult (अपमान) जितना फील करो, उतनी लगेगी। आपने अगर मन से स्वीकार कर लिया तो गर्मी में भी तरावट का अनुभव करेंगे और मन से स्वीकार नहीं किया तो एयर कंडीशन में भी थकावट की अनुभूति होगी।
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