विशुद्धि में स्थिरता कैसे लायें?

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शंका

विशुद्धि में स्थिरता कैसे लायें ताकि विपरीत वातावरण में भी मन न डगमगायें?

समाधान

विशुद्धि ऐसी चीज है जो हमेशा चढ़ती और उतरती है। लेकिन विशुद्धि लाने के लिए आप हमेशा सकारामत्मक सोचना प्रारम्भ करें। १२ भावनाओं का चिंतन और चिंतन ही नहीं, उन्हें अपने चिंतवन का अंग बना लेने वाले व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी स्थिरता बनाये रखते हैं। 

अनुकूलता में विशुद्धि तो हर कोई बना लेता है। लेकिन प्रतिकूलता में अपनी विशुद्धि को मेनटेन (maintain) रखने वाले लोग बड़े दुर्लभ होते है। अपने मन में विशुद्धि को जगाये रखने के लिए बार-बार चिंतन, स्वाध्याय और समागम जो हमने पढ़ा है, और सुना है, उसका बार-बार विचार करें तो जब भी हमारे मन में अस्थिरता आये तो उन विचारों को थोड़ा सा भी प्रभाव सक्रिय कर दें तो वह प्रभाव हमारे मन को सम्भाल लेता है। हमें सम्बोध देता है और चित्त एकदम स्थिर हो जाता है।

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