ऐतिहासिक धरोहर 305 -500 साल पुराने मन्दिर की साज- सम्भाल के लिए समाज को क्या प्रयत्न करने चाहिए?
आपसे और आपके माध्यम से उन तमाम लोगों से यह कहना चाहता हूँ कि जिनके हाथों में विभिन्न धर्मायतनों की रक्षा-सुरक्षा का भार है। आपको पूर्वजों ने कोई धरोहर सौंपी है तो ये आपकी नैतिक जिम्मेदारी होती है कि उसकी सम्हाल करें। जिन लोगों ने इस धरोहर को संभाला है वे लोग भी बड़े साधुवाद के पात्र हैं। समय-काल की परिस्थिति में यदि किसी की कोई कुनीयत हो तो ऐसा नहीं है, सब का इलाज है व उपचार है। सुप्रीम कोर्ट तक की बहुत सारी ऐसी नजीरें है जिनका आप उपयोग करें तो आप के मालिकाना हक को कोई छीन नहीं सकता। समाज को चाहिए कि मिलजुल कर के इस कार्य को करें। आप इस बात को सही मंच पर रखें लेकिन इसमें ढील न छोड़ें। और कहीं -कहीं इस तरह का अनिधिकृत कब्ज़ा ना हो सके और जहाँ कब्ज़ा है कैसे मिलजुल कर के, कानून की सीमाओं के भीतर रहते हुए उसे ठीक किया जा सकता है इस पर हमें विचार करना चाहिए। जिनके पास समय नहीं हो ऐसी संस्थाओं का प्रबन्ध अपने हाथ में न लें जिन्हें सम्भाल न सकें। हमेशा उनको दो जो समर्थ हो और श्रद्धा के साथ उसे संभालने में लगे हो।
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