ध्यान कैसे लगाएँ?

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शंका

हम लोग जब ध्यान करें तो किसका स्वरूप सामने में रखकर के ध्यान करें?

समाधान

जिन-जिनका स्वरूप सामने है, वह सब ओझल करो; ध्यान लग जायेगा। ध्यान किसको कहते हैं? ध्यान के कई स्तर हैं। एक जो प्रारंभिक स्तर का ध्यान है, उस ध्यान में आप लोगों के लिये क्या है कि अर्थ रौद्र परियाकः सामायकम्मतम“, जिसे सामायिक ही बताया गया है।

अर्थात: अशुभ विचारों और संकल्प-विकल्पों से अपने आपको दूर रखने का नाम ही सामायिक ध्यान है। तो उस समय आप आलम्बन लें, किसी मूर्ति का आलम्बन ले सकते हैं, किसी पद का आलम्बन ले सकते हैं, किसी सूत्र का आलम्बन ले सकते हैं, किसी तीर्थ स्थान का भी! वस्तुतः यह ध्यान नहीं है, ये एक प्रकार की धारणा है। इसे आलम्बन पूर्वक आप अपने आपको लीन करके अपनी एकाग्रता की क्षमता को विकसित कर सकते हैं और जब ये क्षमता विकसित हो जाए तब आप अन्तर्मुखी बनकर अपने शुद्ध आत्म-तत्व का आलम्बन लेकर ध्यान करें। ध्यान में कुछ नहीं करना पड़ता, सबसे ध्यान हटा कर अपने में लीन होना पड़ता है और अपने आप में लीन होना बहुत कठिन है इसलिए क्योंकि अनादि से हमारा संस्कार कुछ ऐसा है कि किसी न किसी में लीन रहते हैं। तो उन सबसे अपने आपको डायवर्ट करें और अपने आप में लीन करें तब आगे बढ़ा जा सकता है।

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