जब हम कभी किसी ऐसे मन्दिर में जाते हैं जो हमारे घर से दूरी पर स्थित है, तो हम मेट्रो से या फिर बस से जाते हैं। उनमें जो सहयात्री होते हैं उनसे हमारा स्पर्श होता हैं। ऐसी स्थिति में हमें मन्दिर जाने में क्या दोष लगता है?
मन्दिर जाने के लिए मेट्रो वगैरह से जाना होता है, छुआछूत होता है, अशुद्धि होती है, निश्चित है और उस समय हर तरह के स्त्री-पुरुष होते हैं, प्रायः रजस्वला स्त्रियाँ भी होती हैं। ऐसे स्थिति में मन्दिर जा कर मन्दिर के उपकरण आदि को छूना ठीक बात नहीं है, यह बहुत गम्भीर प्रश्न है।
बड़े शहरों में इतनी शुद्धि पालना बहुत मुश्किल है, तो उत्तम तो यह है कि तुम पुरुष लोग मन्दिर जाओ, मन्दिर में जाकर हाथ-पाँव धोलो, मन्दिर में स्नान की व्यवस्था भी होती है। अगर इतना कर सको तो धोती दुपट्टा पहन लो और भगवान को छू लो, पूजा कर लो, तुम्हारा जीवन तर जाएगा, एक विकल्प तो यह है।
दूसरा, अपने साधन से जाओ; यदि उनके साधन से जाना ही है, तो फिर मन्दिर जाओ, किन्तु एकदम गर्भ ग्रह तक मत जाओ और मन्दिर के उपकरणों को न छुओ। ये बहुत गम्भीर बात है, सबके लिए है, आप लोग एक दूसरे से स्पर्श करते हैं, आपके शरीर की शुद्धि नहीं होती और शुद्धता का पालन तो करना ही चाहिए।
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