पारिवारिक और धार्मिक क्रियाओं को एक साथ कैसे करें?

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शंका

एक गृहस्थ के जीवन में यदि धर्म और पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने में संकट आने लगे तो गृहस्थ किसे प्राथमिकता दें और क्यों, कृपया मार्गदर्शन कीजिए?

समाधान

पारिवारिक जिम्मेदारी गृहस्थ की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करना चाहिए और दृढ़तापूर्वक करना चाहिए क्योंकि परिवार अगर प्रसन्न होगा, खुश रहेगा तो आप सब काम अच्छे से कर पाएँगे। आप अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में किसी भी प्रकार की कमी या ढिलाई न बरतें; और रहा सवाल धर्म का, तो धर्म मत छोड़ें। 

धर्म केवल क्रिया का नाम नहीं है, धर्म विचारों का नाम है, तो पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी अपना धर्म मानते हुए आप निभायें पर इतना तय कर लें कि ‘पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में मैं अधर्म नहीं करूँगा!’- आपके जीवन में धर्म सुरक्षित हो जाएगा। आप नित्य पूजन करते, अभिषेक करते, धार्मिक क्रियाएँ करते, सत्संग करते, अब आपकी अनुकूलता नहीं है, ये सब क्रियाएँ नहीं कर पा रहे हैं तो कोई चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। आपको जब मौका मिले, णमोकार तो जप सकते हैं, जब मौका मिले पाठ तो पढ़ सकते हैं। आप उस तरीके से करें। 

अभी २ दिन पहले एक उद्योगपति युवक मेरे पास आया। बोला- ‘महाराज मैं गणधर वलय के ४८ मन्त्रों की १०८ बार जाप करता हूँ। मुझे सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि “भैया यह जाप तो मैं भी जब करता हूँ, तो ढाई-ढाई घंटे लग जाते हैं, आप कैसे कर लेते हैं, आपको टाइम मिलता है?” उसने जो बात कही सो सुनो, जो लोग कहते हैं “हम व्यस्त हैं, हम को टाइम नहीं मिलता”, वो इस से सीख लें। वो बोला, ‘महाराज जी मेरे घर से मेरी फैक्ट्री का जो रास्ता है उसमें मुझे १:१५ घंटे लगते है, तो मैंने नियम कर लिया, जैसे ही गाड़ी पर बैठता हूँ। गाड़ी पर बैठते ही मैं अपनी माला शुरू कर देता हूँ मौन हो जाता हूँ, माला शुरू कर देता हूँ। आधी माला यानि २४ माला जाते समय और २४ माला आते समय, हमारा काम पूरा हो जाता। ४८ माला तो यह फेरता हूँ और तीन मालायें और, कुल ५१ माला रोज फेरता हूँ। इससे मुझे एक बात समझ में आने लगी कि मौन का क्या प्रभाव होता है? इतनी देर में मौन रहता हूँ, तो आज मेरे पास काम करने की क्षमता विकसित हुई। मैं इसे जाप का प्रताप मानता हूँ, मेरी मेमोरी स्ट्रांग हुई है। अब हमें समझ में आया महाराज जी आप लोगों की मेमोरी कैसे स्ट्रांग रहती है। आप लोग ध्यान करते हो, सामायिक करते हो, तो फर्क आता है।’

मुझे बहुत आश्चर्य हुआ, प्रसन्नता हुई कि एक छोटा सा युवक इस तरीके का कार्य करता है। ये चीजें सीखे तो लोग बहुत कुछ परिवर्तन कर सकते हैं।

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