सम्मेद शिखर जी की यात्रा कैसे करें?
इस विषय पर पहले भी कई बार बता चुका हूँ। बहुत कम शब्दों में कहता हूँ- नीचे से ऊपर जाते समय, जब भी चलो, संकल्प लेकर के चलो कि जब तक ऊपर नहीं पहुँच जाऊँगा, कहीं नहीं बैठूँगा। अपनी चाल में चलना, थक जाओ, साँस उखडने लगे, तो लाठी के सहारे खड़े हो जाना, पर बैठना मत। “ॐ ह्रीं नमः” की मन ही मन जाप करना। नाक से साँस लेना, मुँह से नही। और जब भी टोंक पर जाओ, भगवान के चरणों को छूना। ये सोचना कि यहाँ पर भगवान के परमौदारिक शरीर की दिव्य रज है जो हमें ऊर्जा प्रदान कर रही है। तीन प्रदक्षिणा देना और जो भगवान हैं उनसे प्रार्थना करना कि हे भगवान आप तो मोक्ष को पा गये, हमारे भी दुखों का क्षय हो, मुझे भी जल्दी मुक्ति मिले। इसके बाद नौ बार णमोकार मन्त्र या भगवान की जाप करके दूसरी टोंक पर जाना, जहाँ तक बने कुछ मत खाना-पीना। अगर खाना ही हो तो पानी ले लेना, वह भी पूरी वन्दना के बाद। ये न हो सके, तो जो कुछ भी लेना वन्दना के बाद लेना और शुद्ध लेना। जितनी उत्कृष्ट भावना से करोगे, आपको उतना आनन्द आयेगा।
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