आपने चाइना के उत्पादों का उपयोग करने का निषेध करने के लिए कहा है। लेकिन चाइना की चीजें इतनी सस्ती व सुंदर होती है कि सबका मन हो ही जाता है। ऐसी चीजें भारत में क्यों नहीं बनती है ताकि इसका उपयोग सभी कर सकें और सब को रोजगार मिल सके?
अपने देश को आगे बढ़ाना है, चाइना भारत को जब चाहे तब आंखें दिखाता है, वह भारत को सब तरह से त्रस्त कर रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था भी उसके कारण डगमगा रही है। एक जागरूकता का अभियान होना चाहिए कि हम ऐसी चीजें न लें। बल्कि मैं तो प्रत्येक भारतवासी से यह कहना चाहूँगा कि यदि भारत को समृद्ध बनाना चाहते हो तो भारतीय बनो और केवल भारतीय वस्तु ही खरीदो- “जो भारतीय वस्तु है मैं उसे ही खरीदूगा, बाकी चीजों को नहीं खरीदूंगा, चाहे मुझे कठिनाई महसूस करना पड़े। थोड़ा महँगा भी मिले तो सोच लूँगा, यह पैसा देश के खाते में जा रहा है। मेरा यह पैसा किसी रूप में देश के लिए जा रहा है।” इतनी भक्ति और इतना जुनून व्यक्ति के हृदय में विकसित हो जाए, तब उसको कहने की जरूरत नहीं होगी।
जब हम लेना शुरू कर देंगे, तो वे वस्तुएं मार्केट से चलन में आएंगी, तब भारत की इंडस्ट्री(उद्योग) विकसित होगी। आज भारत का औद्योगिक विकास का स्वरूप बहुत विकृत हो गया है। औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े कई लोग बताते हैं कि ‘उनका’ माल भारत में इतना डंप हो गया है और रेट का अन्तर इतना ज़्यादा है, कि कुछ कर नहीं पाते? सब चीजों को जागरूकता के साथ हमें संभालना होगा और यह तभी सम्भव होगा।
जब एक एक व्यक्ति के हृदय में, देश के प्रति, भारत माता के प्रति, श्रद्धा, एक जुनून उत्पन्न होगा। गांधीजी कहा करते थे- “जो लोग विदेशी वस्त्र पहनते हैं और मेरी जय बोलते हैं, वे मुझे गाली दें तो ज़्यादा अच्छा है।” भारतीय हो, भारत का अनाज खाते हो, भारत का पानी पीते हो और भारत की धरती पर रहते हो और विदेशों की चीजों को अपनाते हो, यह कहाँ की समझदारी है? स्वदेशी होना चाहिए। तभी हम अपना गौरव जगा पाएँगे और इस देश को आगे बढ़ा पाएँगे। हमें ऐसे कौशल का विकास करते हुए ऐसी इकाइयों को और विकसित करना चाहिए और देश को आगे बढ़ाने में देश को समृद्ध बनाने में हर प्रयास करना चाहिए।
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