हम परिंदों को रोजाना जो अनाज डालते हैं, उसमें मन्त्र उच्चारण कर फिर जगह-जगह उस अनाज को फैलाते हैं। कभी-कभी कुछ लोग उस अनाज पर पैर रख देते हैं, तो क्या हम उस क्रम में पाप के भागी होंगे?
आप किसी पाप के भागी नहीं होंगे। यदि आप परिंदों को अनाज और पानी देते हैं तो यह उनके जीवन के कल्याण का कार्य ही है।
आज लोगों ने परिंदों के बसेरों को उजाड़ दिया है, इस पर सबको ध्यान देना चाहिए। परिंदों के बसेरे उजड़ जाने के कारण आज अनेक प्रकार की बीमारियाँ भी हावी होने लगी हैं। आजकल गोरैया कहीं नहीं दिखती, लोग कहते हैं इसके पीछे मोबाइल एक कारण है, यह भी एक कारण हो सकता है, लेकिन मुझे इसका सबसे बड़ा कारण यह दिखता है कि आपके घरों में मोके-ताके बंद हो गए हैं। पहले खपड़पोस (खपरेल वाला) मकान होता था। गोरैया एक ऐसी चिड़िया है जो घरों में ही घोंसला बनाती है। आज आपके घर इस तरीके के बने होते हैं कि वहाँ घोसला बनाने की गुंजाइश ही नहीं है, गोरैया रहेगी कहाँ? अब तो कबूतरों को भी बैठने के लिए जगह नहीं है, आपने अपने लिए सब सोचा, उनके लिए कुछ नहीं सोचा। इसलिए आप जब अपने घर बनाओ तो दो-चार ऐसे छोटे-छोटे मौके-ताके बना दें, ताकि कोई गोरैया, कोई मैना, कोई तोता या कोई कबूतर आकर वहाँ रह सके, बसेरा कर सके। वे हमारे पूरे के पूरे पर्यावरण की शुद्धि में सहायक होते हैं, इस पर सबका ध्यान होना चाहिए।
इस शंका-समाधान कार्यक्रम को जो भी आर्कीटेक्ट (architect) सुन रहे हैं, वे भी बिल्डिंग को इस तरह डिजाइन करें कि कुछ परिंदे भी उस भवन में अपना बसेरा कर सकें। आप जब भी घर बनाओ तो यह सोच रखो कि – “मेरे घर में इनकी (पक्षियों की) ) गूंज होनी चाहिए।” हम लोग जब छोटे थे तो सुबह की नींद गौरैया की चहचहाट से, चिड़िया की चहचहाट से खुलती थी। अब वो चिड़ियाँ ही नहीं दिखती, उनका बसेरा कैसे हो? आप अपने तक सीमित होते जा रहे हैं, इससे पूरे के पूरे वातावरण में कई प्रकार के पक्षी अब दिखते ही नहीं हैं। यह अतिक्रमण है, एक तो पेड़ पौधे काट दिये, जो घरों में रहते थे, अब घरों में रहने की गुंजाइश भी नहीं है। इनके लिए सबको ध्यान रखना चाहिए और अपने घर में एक कटोरे में पानी रखना चाहिए ताकि पक्षी पानी भी पी सकें। दाना खिलाने वाले लोग तो बहुत मिलते हैं पर पानी पिलाने वाले लोग बहुत कम मिलते हैं। यह जीव दया की भावना हर व्यक्ति के हृदय में होनी ही चाहिए। यह हमारा धर्म है।
आपकी शारीरिक स्थिति भी प्रक्षाल करने जाने की नहीं है, आप पक्षी-सेवा करते रहें यही आपके पापों के प्रक्षालन का कारण बनेगा।
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