मानसिक तनाव कैसे दूर करें?

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शंका

मानसिक तनाव कैसे दूर करें?

समाधान

हर व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रसित है। सबसे पहले यह देखें कि होता क्यों है? तनाव कब होता है? जब परिस्थिति और मनःस्तिथि में तालमेल नहीं बनता, तनाव होता है। परिस्थितियां कुछ हों और मनःस्तिथि कुछ हो, हम कुछ चाहते हों और कुछ और होता हो,उस घड़ी में तालमेल के अभाव में हमारे मन में तनाव होने लगता है। यह तनाव तब तक रहेगा जब तक आप उसी में उलझे रह जाओगे। तो तनाव से बचने का उपाय क्या है? देखो! “परिस्थिति मेरे हाथ में नहीं है, मन स्थिति मेरी है, मेरे हाथ में है”। उस समय जब हमारे मन में किसी बात को लेकर तनाव उत्पन्न हो रहा है, जीवन में असहजता की अनुभूति हो रही है तो हम उस समय में ऐसा करें की अपनी परिस्थिति को ना बदल पाएँ तो मनःस्तिथि को बदल लें। आपकी परिस्थिति वही रहेगी, मनःस्तिथि बदल जाएगी, आपका तनाव दूर होगा। अब मनःस्तिथि को बदलने के लिए क्या करें? प्रतिकूल की अनुकूल व्याख्या करें। आपका मन शांत होगा। जो उल्टा दिख रहा है उसको सीधा देखने लगें। POSITIVE (सकारात्मक) सोचें! बुराई में अच्छाई देखने की कोशिश करें। मन का तनाव दूर होगा।

दूसरी बात, कितनी भी विषम परिस्थिति हो, ये समझें – “यह थोड़ी देर की बात है; ज्यादा देर तक टिकने वाली नहीं है, फिर सब बदल जाएगा। थोड़ी देर की बात है, थोड़ी देर की बात है, थोड़ी देर की बात है।” आपका तनाव थोड़ा हल्का होगा।

तीसरी बात, तनाव को कम करने के लिए आशावादी सोच रखें। “ठीक है भाई! आज नहीं कल ठीक हो जाएगा।”

और चौथी बात – जो बहुत महत्वपूर्ण है – यथार्थ पर भरोसा करें! “जीवन में जो कुछ भी संयोग है वह मेरे हाथ में नहीं! शुभाशुभ, हानिलाभ, जितने भी संयोग हैं, वह सब हमारे कर्म के ऊपर निर्भर करते हैं, कर्मों के आधीन हैं। तो सुख-दुख, संयोग-वियोग, जीवन-मरण मेरे हाथ में नहीं है, कर्म के हाथ में है। यह जब मेरे हाथ में है ही नहीं, तो उनके पीछे में रोना क्यों शुरू करूँ।”

यदि आप इन चारों बातों को ध्यान में रखेंगे, निश्चित ही तनाव से निजात पाने में सहायक बनेंगे। एक और बहुत ही व्यावहारिक बात आप से कहता हूं, जब भी आपका मन तनाव से उलझने लगे तो उस क्षण में क्या करें? मन को बदलें, कुछ करें, अच्छा पढ़ना, अच्छी संगति करना, अपनी सोच को DIVERT (बदलने) करने में बहुत बड़ा निमित्त बनता है। लेकिन एक और व्यावहारिक बात बोल रहा हूँ, आप लोग खाना बनाते हैं, खाना बनाने में कुकर का प्रयोग करते हैं। कुकर में सीटी होती है, सीटी कब बजती है? जब उसमें प्रेशर ज्यादा होता है तो सीटी बजती है। प्रेशर कुकर में जब प्रेशर बढ़ जाता है तो सीटी बजती है। मैं आपसे पूछता हूँ, अगर सीटी न बजे तो क्या होगा? प्रेशर कुकर फट जाएगा! तो कुकर फटे नहीं और काम बन जाए इसलिए ये सिस्टम लगा दिया गया है। मैं आपसे कहता हूं जब आपके दिमाग में तनाव का प्रेशर बढ़े और दिमाग फटने लगे, प्रसन्नता की सीटी बजा दीजिए! आपका मन ठीक हो जाएगा और तनाव से बचने का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा।

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