शंका
कैसे पता चलता है कि हमारे निकाचित कर्म बन्धे हुए हैं? उनको काटने के उपाय बताइये?
समाधान
हम पता नहीं कर सकते कि निकाचित कर्म बन्धे है या नहीं? लेकिन यह मानकर चलो कि यदि हमारे जीवन में बहुत रुकावटें आ रही हैं तो समझना कि हमारा कर्म प्रगाढ़ है और वह निकाचित की श्रेणी में हो सकता है।
अब इसको काटने का उपाय? वैसे देखा जाये तो शुक्लध्यान की दृष्टि से ही निकाचितपना नष्ट होता है; लेकिन निकाचितपना का कुछ अंश जिनेन्द्र भगवान के दर्शन से नष्ट हो जाता है। आचार्य वीरसेन महाराज ने धवला में लिखा है – जिनेन्द्र भगवान के बिम्ब के दर्शन से निधत्ति, निकाचित, स्वरूप मिथ्या आदि कर्मों का क्षय देखा जाता है।
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