हम मन की कड़वाहट को कैसे quarantine (पृथकवास) करें कि हमारे सारे सम्बन्ध वेंटिलेटर पर जाने से बच जाएँ, कृपया समाधान करें?
मन की कड़वाहट को क्वारेंटाइन करने की बात आपने की है, पहले तो मैं कहूँगा कि मन में कड़वाहट उत्पन्न ही न होने दें। आप थोड़ा सा सुरक्षित दूरी बना करके रखें। अगर सुरक्षित दूरी बनाकर रखेंगे तो मन में कड़वाहट आएगी नहीं, इंफेक्शन भीतर जाएगा नहीं तो फिर आपको अलग से पृथकवास की भी जरूरत नहीं होगी।
देश में विडम्बना एक और है, ‘क्वारेंटाइन’ शब्द का प्रचलन तो हो गया पर पृथक वास कोई नहीं जानता, हमें हिंदी का प्रयोग करके अच्छे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। पृथकवास रहें, हम अलग-थलग रहें, एक दूसरे के साथ असंपृक्त रहें, ये प्रयास होना चाहिए। आपने कहा कि मन की कडवाहट को क्वारेंटाइन करें, कड़वाहट को क्वारेंटाइन नहीं करना है जिसके मन में कड़वाहट है उसे क्वारेंटाइन होना है। जब भी हमारे मन में कड़वाहट आने लगे, हम अपने आप को उस कार्य से, उस क्षेत्र से, उस स्थान से अलग-थलग कर दें। यदि हम वहाँ से अपने आपको अलग कर लेते हैं और अपने चिन्तन में थोड़ा बदलाव लाते हैं तो कड़वाहट खत्म हो जाए और फिर हमें अपने संबंधों को कभी वेंटिलेटर पर डालने की नौबत ही नहीं आएगी। अब उसकी कोई अलग से, आज के समय में कोरोना की वैक्सीन नहीं है पर मन की कड़वाहट को मिटाने की एक बहुत शानदार वैक्सीन है और वो वैक्सीन है सकारात्मक सोच की, एक वैक्सीन लगा लो सारी कडवाहट खत्म। मन में क्षमा भाव जागते ही सारा मैल दूर हो जाता है। क्षमा का एक इंजेक्शन लगा लो, तुम्हारे अन्दर की सारी बुराई और विकृति दूर हो जाएगी और जीवन निहाल हो जाएगा।
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