एक महीने पहले मैंने अपने चाचाजी और पिताजी को १ घंटे के अन्तराल पर खो दिया और उस समय मेरा अचानक जीवन से मोह भंग हो गया। लेकिन अब एक महीने पश्चात मुझे लग रहा है कि मैं वापस धीरे-धीरे मोह में पड़ता जा रहा हूँ। कुछ ऐसी विधि बताइए कि मैं सारे मोह त्याग सकूँ और मरते समय सल्लेखना द्वारा अपने प्राण त्याग कर सकूँ।
जीवन से मोह भंग नहीं होना चाहिए, जीवन से मोह भंग होने वाला व्यक्ति हताश हो जाता है। संसार से मोह भंग होना चाहिए, सांसारिकता से मोह भंग होना चाहिए, तुम्हारे साथ जुड़े हुए संयोगों का मोह भंग होना चाहिए। ये सब तो कभी भी छूट जाने वाले हैं, कभी भी नष्ट होने वाले हैं। इसलिए ये कभी भी नष्ट हों तो इसके लिए अपने जीवन को उसी अनुरूप आगे बढ़ाओ। जैसे तुम्हारे चाचाजी ने सल्लेखना पूर्वक इस देह को छोड़ा, तुम इससे प्रेरणा लो! अभी से अपना लक्ष्य बनाओ, पुरुषार्थ जगाओ, उसकी उपलब्धि होगी। स्वाध्याय सत्संग इसमें बहुत बड़ा मददगार होगा।
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