मेडिकल की पढ़ाई में की हुई हिंसा का पश्चाताप कैसे करें?

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शंका

हमारे यहाँ लाखों लोग कोशिश करते हैं मेडिकल में एडमिशन के लिए, उस कोशिश में काफी हिंसा होती है जूलॉजी व बोटनी की पढाई में लेकिन सफलता केवल 1% लोगों को मिलती है, 90%लोगो को कितना दोष लगता है। दूसरा सवाल जब वो एक प्रतिशत लोग जिन्होंने एमबीबीएस पास कर लिया, उनमें से भी बहुत सारे लोग डॉक्टरी न करके दूसरे फील्ड में काम करते हैं, जैसे कोई आईईएस, आईपीएस बनेगा या फेक्टरी खोलेगा या कुछ बन जाएगा तो उनको कितनी हिंसा का दोष लगेगा?

समाधान

पढ़ाई के विषय में हर व्यक्ति को अपनी योग्यता, रुचि और परिस्थिति के अनुकूल ही कार्यक्षेत्र विषय चुनना चाहिए। एक दूसरे की देखा-देखी करके कोई भी विषय नहीं चुनना चाहिए। हर आदमी डॉक्टर बनना चाहता है पर हर कोई डॉक्टर बन नहीं सकता। आपने कहा एक परसेंट या परसेंट रिजल्ट आता होगा, हर कोई तो सेलेक्ट नहीं होता। हमें यह देखना चाहिए कि एक्चुअल में हम उसके लायक हैं या नहीं, हमारी योग्यता क्या है, हम कहाँ है और अपनी योग्यता को देखते हुए इस तरह का उद्यम करना चाहिए। अनेक प्रकार के प्रयोग के माध्यम से जो हिंसा होती है उसके भागीदार तो है ही। मैं कहूँगा जो एवरेज विद्यार्थी हैं उनको इस लाइन को चुनना ही नहीं चाहिए। जो बेहद प्रखर और प्रतिभावान हैं जो जानते हैं कि ऐसी प्रतियोगी परीक्षा में हम आगे निकल सकते हैं उन्हें ही इसके लिए प्रयास करना चाहिए। दूसरी बात यदि आपने इस लाइन को चुना है, इसमें होने वाली हिंसा को कभी भूलना नहीं चाहिए। आप लोगों के एथिक्स में ऐसा पढ़ाया जाता है, मैंने सुना है कि हम मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं जनता की सेवा के लिए, मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद दूसरी लाइन चुन लेते हैं यह कहाँ तक उचित है? डॉक्टर बनने के बाद भी मेडिकल के प्रोफेशन को आज जो एक इंडस्ट्री का रूप दे दिया गया, उसमें सेवा के भाव तो दूर ही हो गए। उन्हें कभी भूलना नहीं चाहिए कि मैंने जो पढ़ाई की है उसमें हिंसा है और इस हिंसा का प्रायश्चित्त तभी होगा जब मैं जनता की सेवा करूँगा। मेडिकल लाइन में आए हैं और उसके बाद दूसरी लाइन में जाते हैं उन्हें चाहिए कि हम पर सरकार का भी खर्चा हुआ, हमने अपना समय लगाया, शक्ति लगाई संसाधन लगाएँ और हिंसा भी हुई तो मैं किसी भी क्षेत्र में जाऊँ, सेवा की भावना से ही सही हम घंटे- घंटे लोगों की सेवा करें और अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करें तब उसकी सार्थकता होगी अन्यथा पाप का कारण बनेगा। यदि कोई व्यक्ति मेडिकल लाइन में जाने के लाइन बदलता है और वह अपने पुराने पाप से उऋण होना चाहता है, तो मैं उनको एक दूसरा सुझाव दूँगा और मैं उनके लिए कह रहा हूँ जो अपनी लाइन बदल चुके हैं अब क्या करेंगे, वरषों हो गया १० साल, १५ साल, २० साल बीत गए, अब मेडिकल लाइन में थे और हमने दूसरी लाइन चुन ली, उनके बारे में हो सकता है इस उत्तर को सुनकर ऐसा लगेगा कि हमारे ऊपर तो बहुत बड़ा पाप का बोझ महाराज ने डाल दिया और आज लग रहा है कि हमने दायित्त्व विमुखता का कार्य किया है। निश्चित मैं उन लोगों को कहता हूँ अपने द्रव्य का एक हिस्सा लोगों की चिकित्सा के लिए अर्पित करना शुरू कर दो, अपनी आमदनी का एक हिस्सा लोगों की चिकित्सा के लिए, उनकी चिकित्सा के लिए जो गरीब हैं जो अपने साधन से नहीं कर सकते उनको दीजिये तो प्रायश्चित्त हो जाएगा, उनको चिकित्सा सुलभ करा दीजिये यही आपका प्रायश्चित्त है। चूँकि आपने दूसरी लाइन सोच समझकर चुनी है, मेडिकल प्रोफेशन से आज कहीं आप ज़्यादा सक्षम है, तो आपको और ज़्यादा सक्षमता के साथ सहयोग में हाथ बढ़ाना चाहिये।

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