हमें बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए, जैसे शराब पीना, माँस खाना इत्यादि। लेकिन friends (मित्र) अक्सर कहते हैं कि- “life (जीवन) एक बार ही मिलती है, एक बार तो इन सब चीज़ों का taste (सेवन) करना ही चाहिए।” तो उस समय महाराज जी, हम क्या करें?
बहुत अच्छा प्रश्न है, इस बच्ची ने जो बात कही है, इसने आज के समाज की तस्वीर को प्रस्तुत किया है। समाज की तस्वीर बहुत घिनोनी है, और ये ही नहीं, इस जैसी हर बच्ची को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। तुम ३rd year में पढ़ रही हो, तुमने बताया की पहले तो तुम्हारी क्लास की १० में से 8-9 फ्रेंड्स इन बुरी आदतों में लिप्त थीं।
यह समाज की तस्वीरें देखें, बच्चे करे तो क्या करें! बच्चों को संभालना होगा, अच्छे संस्कार होने के बाद भी संगति के कारण मन डगमगाने लगता है। मन है, यौवन अवस्था में अपने मन पर, अपनी इन्द्रियों पर निग्रह करना बहुत कठिन होता है। वे कहते हैं – “क्या करें, मन मचलता है, चलो! लाइफ में एक बार करके देख लो, थोड़ा enjoy (मज़े) करके देखो, चल जाएगा।” उनको समझाओ- “enjoy (मज़े) करने के और भी बहुत साधन हैं, अपने चरित्र को बर्बाद करके हम कोई आनन्द नहीं लेना चाहेंगे। जीवन का सच्चा आनन्द भोग-विलासिता में नहीं है, अपने चरित्र के निर्माण में है।” और इसके लिए अपना संकल्प दृढ़ रखना चाहिए। संकल्प ही जीवन का सुरक्षा कवच है और यदि बार- बार ऐसे लोग प्रेरित करें, तो उनकी संगति को छोड़ देना चाहिए, जैसा तुमने छोड़ा।
मैं मानता हूँ यह तुम्हारी दृढ़ता और तुम्हारे संस्कार ने तुम्हें संभाला, तुमने वह संगति छोड़ दी। अगर उस संगति में होती तो, हो सकता है, आज तुम्हारा भी मन भटक गया होता और तुम track (जीवनपथ) से बाहर हो गई होती।
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