जाप के समय मन के विकारों को कैसे रोकें?

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शंका

णमोकार मन्त्र जपते समय मन में विकार आते हैं, क्या करें?

समाधान

इस विषय में कई लोगों को शिकायत है। भगवान के दर्शन करते हैं तो गन्दे-गन्दे विचार आते हैं और णमोकार जपते समय विकार आते हैं। जिनको भी ये विकार आते हैं वे एक मनोकायी रोग से ग्रसित हैं। उनको चाहिए कि किसी गुरु के पास बैठकर अपना confession करें। 

हमने इस विषय में साइकोलॉजिस्ट से भी बात की; उन्होंने कहा कि ‘महाराज जी! यह एक बीमारी है। उन लोगों के अन्दर एक तरह की guilt रहती है, सूक्ष्म, बचपन से अब तक की। वह guilt उनको परेशान करती है। यदि गुरुओं के पास प्रायश्चित ले लें और ये guilt निकल जाये, तो ये विचार आना बंद हो जायेंगे।’ तो आप कहीं एकांत में निवेदन करके ये कार्य कर सकते हैं, आपका मन शान्त हो जायेगा। ये अबुद्धि पूर्वक आने वाले विकारों की आप बिल्कुल भी चिन्ता न करें, णमोकार जपते रहें।

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